पट्टादाता का अनर्जित वृद्धि की वसूली का अधिकार और यथा उल् लिखित संपत् ति की खरीद का पूर्व क्रय अधिकार अनैच् छिक बिक्री अथवा हस् तांतरण, चाहे यह दिवाला न् यायालय डिक्री के निष् पादन के द्वारा हो अथवा के माध् यम से, समान रूप से लागू होगा ।
2.
उक् त भूमि के बाजार मूल् य के संबंध में पट्टादाता का निर्णय अंतिम होगा और सभी संबंधित पक्षकारों पर बाध् यकारी होगा बशर्ते कि पट्टादाता को पूर्वोक् त अनर्जित वृद्धि के पट्टादाता द्वारा यथानिर्धारित ऐसे प्रतिशत की कटौती करने के पश् चात् बंधक अथवा प्रभारित संपत् ति की खरीद का पूर्व क्रय अधिकार होगा ।
3.
बशर्ते कि बंधक रखी गई अथवा प्रभारित संपत् ति की बिक्री अथवा मोचन-निषेध की स् थिति में पट्टादाता उक् त बंधक प्रभार पर प्राथमिकता रखते हुए प्रथम प्रभार के रूप में उक् त भूमि के मूल् य में अनर्जित वृद्धि के पट्टादाता द्वारा यथानिर्धारित ऐसे प्रतिशत का दावा और वसूल करने का हकदार होगा ।